UK: पटवारी 600 और एसडीएम के नाम से 10 हजार… अराइजनवीस के वायरल वीडियो में उछले अधिकारियों के नाम, डीएम ने दिए जांच के आदेश

हल्द्वानी में एक अराइजनवीस के वायरल वीडियो ने तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो में पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम स्तर तक के अधिकारियों पर काम के एवज में अलग-अलग दरों पर कथित ‘सुविधा शुल्क’ लेने के आरोप लगाए गए हैं। वीडियो सामने आने के बाद जिलाधिकारी नैनीताल ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच के बीच उछले आरोप

हल्द्वानी में फर्जी तरीके से बनाए गए प्रमाणपत्रों की जांच पहले से चल रही है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें तहसील कार्यालय में कार्यरत बताए जा रहे अराइजनवीस योगेश ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। योगेश का दावा है कि तहसील में पटवारी से लेकर एसडीएम तक, विभिन्न कार्यों के लिए तय राशि के रूप में ‘सुविधा शुल्क’ लिया जाता है।

वीडियो में योगेश के आरोप – “बिना वजह परेशान किए जा रहे हैं लाइसेंसधारक”

वीडियो में योगेश कहते दिखाई दे रहे हैं कि तहसील के काउंटरों पर तैनात लाइसेंसधारकों को अधिकारी बिजली कनेक्शन, बिल, शटरबंद काउंटर और लोहे की जाली जैसी बातों पर बिना कारण सवाल पूछकर परेशान कर रहे हैं।
योगेश का कहना है कि —

  • “जब बिजली कनेक्शन दिया गया था, तब भी तो यहां अधिकारी थे। तब इंदिरा हृदयेश कैबिनेट मंत्री थीं, दीपक रावत डीएम थे और मोहन सिंह बिष्ट तहसीलदार थे। इन्हीं ने इसकी अनुमति दी थी।”

वह आरोप लगाते हैं कि अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर ही सभी काउंटर जालीदार बनाए गए, लेकिन अब उन्हीं पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

“पटवारी 600 रुपए, तहसीलदार 1200 रुपए… एसडीएम के नाम से 10 हजार तक”

वायरल वीडियो में योगेश गंभीर आरोप लगाते हुए कहता है—

  • “हर फाइल पर पटवारी 600 रुपए लेता है।”

  • “तहसीलदार के नाम पर 1200 रुपए वसूले जाते हैं।”

  • “दाखिल–खारिज के लिए 3,000 रुपए तक लेने की बात सामने आती है।”

  • “143 की फाइलों में एसडीएम के नाम पर 10,000 रुपए तक लिए जाते हैं।”

योगेश का कहना है कि रजिस्ट्रार दफ्तर और ‘तितम्मा’ यानी रजिस्ट्री में नाम सुधार के मामलों में भारी अव्यवस्था और प्रतिस्पर्धा-सी मची हुई है।

डीएम ने दिए जांच के आदेश, 15 दिसंबर तक रिपोर्ट मांगी

वीडियो में लगे आरोपों के बाद जिलाधिकारी नैनीताल ललित मोहन रयाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
डीएम के अनुसार —
“सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो राजकीय कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और अखंडता को प्रभावित करते हैं। इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है।”

ADM (वित्त एवं राजस्व) शैलेंद्र सिंह नेगी को प्रकरण का जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
उन्हें 15 दिसंबर तक विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।

अधिकारियों में हड़कंप, तहसील परिसर में चर्चा तेज

वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासनिक तंत्र में हलचल मची है। तहसील कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी और दस्तावेज लेखक इस प्रकरण को लेकर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। जांच पूरी होने तक सभी की निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।

Previous articleUttarakhand: मतदाता सूची में नाम जोड़ना या हटाना है तो तुरंत भरें फॉर्म, विभाग दे रहा नया वोट बनवाने का विशेष मौका