Badrinath: बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू, पंच पूजाओं के साथ देवताओं का धाम में आगमन

Badrinath: बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया आज से शुरू, पंच पूजाओं के साथ देवताओं का आगमन

बदरीनाथ धाम। छह माह की शीतकालीन अवधि के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया आज 21 नवंबर से परंपरागत विधि-विधान के साथ शुरू हो गई। कपाट बंद होने से पहले धाम में आयोजित होने वाली ‘पंच पूजाएं’ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। मान्यता है कि पंच पूजाओं की शुरुआत होते ही धाम में देवताओं का आगमन शुरू हो जाता है और शीतकाल में पूजा-अर्चना का दायित्व देवताओं को सौंप दिया जाता है।


पंच पूजाओं का आरंभ—देवताओं के आगमन की मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बदरीनाथ धाम में वर्ष के छह माह मनुष्य पूजा करते हैं और बाकी छह माह देवता स्वयं भगवान बदरीविशाल की पूजा-अर्चना करते हैं। पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार, पंच पूजाओं की शुरुआत होते ही देवता धाम में विराजमान हो जाते हैं और कपाट बंद होने के बाद पूजा का अधिकार भी उन्हीं को प्राप्त होता है। अगले वर्ष वैशाख माह में कपाट खुलने के साथ ही यह अधिकार पुनः मनुष्यों को दे दिया जाता है।


कैसे होती हैं पंच पूजाओं की शुरुआत

बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने से पांच दिन पहले पंच पूजाएं प्रारंभ हो जाती हैं।
इस दौरान धाम के विभिन्न मंदिरों में अंतिम पूजाएं सम्पन्न कर उनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से पंच पूजाएं कहा जाता है।

➡️ पंच पूजाओं की क्रमवार प्रक्रिया

  1. गणेश मंदिर में विशेष पूजाओं के साथ पंच पूजाओं का विधिवत आरंभ।
    अंतिम पूजा रावल द्वारा सम्पन्न किए जाने के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

  2. आदिकेदारेश्वर मंदिर में अन्नकूट का आयोजन
    इस दिन भगवान भोलेनाथ को पके चावलों का भोग लगाया जाता है और शिवलिंग को अन्नकूट से ढक दिया जाता है। पूजा के उपरांत मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

  3. तीसरा दिन: खड़क पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन
    इस दिन धार्मिक ग्रंथों की पूजा के बाद वेद मंत्रों का पाठ बंद हो जाता है।

  4. चौथा दिन: माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग
    मंदिर में विशेष पूजाएं की जाती हैं और लक्ष्मी माता को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाता है।

  5. पांचवां दिन: बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद
    पंच पूजाओं के समापन के बाद शीतकाल के लिए कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए जाते हैं।


आज से शुरू हुई कपाट बंद होने की औपचारिक प्रक्रिया

बदरीनाथ धाम में आज सुबह भगवान बदरीनाथ का अभिषेक किया गया और गणेश मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ कपाट बंदी की औपचारिक शुरुआत की गई।

कपाट बंद होने का पूरा कार्यक्रम इस प्रकार है—

  • 21 नवंबर: कपाट बंद होने की प्रक्रिया का शुभारंभ, गणेश मंदिर में पूजा।

  • 22 नवंबर: आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद।

  • 23 नवंबर: सभा मंडप में धार्मिक पुस्तक पूजन एवं वेद ऋचा वाचन का समापन।

  • 24 नवंबर: माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित, लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा।

  • 25 नवंबर (दोपहर 2:56 बजे): बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत बंद कर दिए जाएंगे।

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