देहरादून: डीआईटी विश्वविद्यालय के दो शिक्षक स्टैनफोर्ड के 2 प्रतिशत शीर्ष वैज्ञानिकों में शामिल किए गए है। इनमे डॉक्टर नीरज कुमार सेतिया व डॉक्टर सब्य सांची दास शामिल हैं।
डीआईटी विवि के वाइस चांसलर प्रो जी. रघुरामा ने जानकारी देते हुए बताया की डॉ.नीरज कुमार सेतिया फार्मेसी संकाय, एसओपीपीएचआई, डीआईटी विश्वविद्यालय, देहरादून में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत प्रतिष्ठित अनुभवी शिक्षकों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों, वक्ताओं और सलाहकारों में से एक हैं। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब डॉ. सेतीया को 2021 और 2022 सहित स्टैनफोर्ड की शीर्ष 2 प्रतिशत सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिक सूची में सूचीबद्ध किया गया है।
डॉ. सेतीया ने अपनी पीएचडी. पूरी की। (फार्मेसी) मार्च 2012 में एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा, वडोदरा, गुजरात से और डॉ. एचएस गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर, एमपी से एम.फार्मा। इससे पहले, उन्होंने नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया (डीएसटी-भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय) में सीनियर इनोवेशन फेलो के पद पर, रेजेन बायोकॉर्प्स, वडोदरा में फॉर्मूलेशन साइंटिस्ट और फार्मेसी विभाग में टीचिंग असिस्टेंट के पद पर काम किया।
वहीं सब्या साची दास स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल एंड पॉपुलेशन हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स, डीआईटी यूनिवर्सिटी, देहरादून, उत्तराखंड, भारत में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा, रांची, झारखंड में शोध कार्य। उनके पास संभावित उपचारात्मक प्रभावों के लिए विभिन्न नैनोकैरियर-आधारित दवा वितरण प्रणालियों के निर्माण, विकास और जैविक मूल्यांकन में कार्य विशेषज्ञता है। उनके पास अनुकूलन (डीओई), भौतिक रासायनिक लक्षण वर्णन अध्ययन (एफटीआईआर, एक्सआरडी, रमन, डीएससी-टीजी, एफईएसईएम), दवा रिलीज परख, विष विज्ञान अध्ययन, जैविक परख (एंटीऑक्सीडेंट, एंटीकैंसर, रोगाणुरोधी, एंटीपैरासिटिक और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार) में काम करने का अनुभव भी है।
प्रोफेसर की रघुराम ने बताया कि डीआईटी के अन्य कई शिक्षक भी स्टैनफोर्ड के शीर्ष शिक्षकों में आने के लिए कार्यरत हैं। डीआईटी विश्वविद्यालय हमेशा से अपने शिक्षकों को प्रेरित करता रहा है एवं समर्थन करता रहा है कि वह अन्य देशों में भी डी आई टी विश्वविद्यालय का नाम रोशन करें।