देहरादून: विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। सोचिए अगर इन तीनों प्रमुख व्यवस्थाओं की कमान ही महिलाओं के हाथों में सौंप दी जाए तो इससे बेहतर महिला सशक्तीकरण का उदाहरण और क्या हो सकता है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड ने इसे साकार करके दिखा दिया है। वर्तमान में यहां शासन, विधानसभा व उच्च न्यायालय की कमान महिलाओं को सौंपी गई है। मौजूदा समय में यह उपलब्धि हासिल करने वाला उत्तराखंड इकलौता राज्य है। 7 फरवरी को विधानसभा से यूसीसी विधेयक को पारित कर इतिहास बनाने के बाद उत्तराखंड ने अब महिला सशक्तीकरण की दिशा में नजीर पेश की है।
दरअसल, उत्तराखंड की धामी सरकार के कार्यकाल में राज्य एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कर रहा है। वैसे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सुशासन, आर्थिक सुधार के लिए जाना जाता रहा है, अब वे सामाजिक न्याय व महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं। सीएम धामी 2022 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने रितु खंडूड़ी को विधानसभा अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। रितु खंडूड़ी को पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके बाद 1 फरवरी 2024 को सीएम धामी ने शासन के सर्वोच्च मुख्य सचिव पद पर राधा रतूड़ी को चुना। राधा रतूड़ी को सबसे ईमानदार व कर्मठ अधिकारियों में गिना जाता रहा है।
सीएम धामी ने किसी भी अवसर पर महिलाओं को पुरूषों से कमत्तर नहीं आंका है। यही वजह है कि सीएम धामी हमेशा किसी भी नियुक्ति में लैंगिक भेदभाव को भुलाकर योग्यता एवं क्षमताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं। वहीं, अब 4 फरवरी को उत्तराखंड के नैनीताल हाई कोर्ट में भी महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में रितु बहरी ने कार्यभार संभालाहै। रितु बहरी भी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी हैं। इस तरह उत्तराखंड में मौजूदा समय में शासन, विधायिका व न्यायपालिका की मुखिया महिलाएं हैं और तीनों ही अंगों में यह पहला अवसर है जब यहां महिलाएं प्रमुख बनी हैं। जाहिर है कि उत्तराखंड महिला सशक्तीकरण की दिशा में अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बनेगा।