कक्षा तीन से ही विद्यार्थियों को पढाई जाएगी संस्कृत समेत तीन भाषाएं

देहरादून: प्रदेश के विद्यालयों में कक्षा तीन से ही संस्कृत पढ़ायी जाएगी। इस प्रकार प्रदेश के समस्त विद्यालयों में कक्षा तीन से ही तीन भाषाओं को पढ़ाया जायेगा । और प्राथमिक स्तर कक्षा 3 से 5 तक पढ़ेंगे छात्र सात विषय। विद्यालयी शिक्षा पाठ्यचर्या की रूपरेखा में पठन पाठन से सम्बंधित ऐसे कई विषय रखे गए हैं।

शनिवार को विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का दस्तावेज़ इसके निर्माण और अनुमोदन हेतु गठित राज्य स्टीयरिंग कमेटी के सम्मुख रखा गया। स्टेयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राकेश चंद्र जुगरान जी के निर्देशन में यह पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके लिए ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया था जिसने कई चरणों में इसके निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण की है और आज अंतिम रूप से विद्यालयी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का दस्तावेज महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, बंदना गर्ब्याल तथा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा अजय नौडियाल के मार्ग निर्देशन में उक्त समिति के द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया।

स्टीयरिंग कमेटी के अनुमोदन के पश्चात इस दस्तावेज को शासन द्वारा अनुमोदित किया जाना होगा, जिसे शीघ्र शासन के सम्मुख रखा जाएगा ताकि नए शैक्षिक सत्र से पूर्व राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा बन कर तैयार हो जाय। इस पाठ्यचर्या में अनुशंसा की गई है कि कक्षा तीन से ही संस्कृत पढ़ायी जाएगी। इस प्रकार प्रदेश के समस्त विद्यालयों में कक्षा तीन से ही तीन भाषाओं को पढ़ाया जायेगा ।

प्राथमिक स्तर कक्षा 3 से 5 तक पढ़ेंगे छात्र सात विषय हमारे चारों ओर का संसार, कला शिक्षा शारीरिक शिक्षा। तीन भाषाएँ, गणित, उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6 8 तक छात्र पढ़ेंगे नौ विषय- तीन भाषाएँ, गणित विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा एवं स्वस्थता, व्यावसायिक शिक्षा।

कक्षा 9 व 10 में गणित विषय सभी के लिए अनिवार्य होगा किंतु इसका मूल्यांकन दो स्तरों (एक सामान्य तथा दूसरा उच्च स्तर पर किया जाएगा। जो छात्र गणित का सामान्य अध्ययन करना चाहते हैं उनका मूल्यांकन सामान्य स्तर पर किया जाएगा ताकि गणित में कम रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को गणित बोझ न लगे।

कक्षा 11 व 12 में उत्तराखण्ड बोर्ड द्वारा वर्तमान में संचालित सभी विषयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप नए विषय समूह में उनकी सुसंगतता के अनुरूप अध्ययन का विकल्प यथावत रहेगा।

विद्यालयी समय तथा समय विभाजन चक्र प्रदेश की भौगोलिक विषमता के अनुरूप बनाया जा सकेगा। इस प्रकार विकासखण्ड स्तर पर विद्यालय खुलने तथा बंद होने का समय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होगा, यद्यपि विद्यालय में पठन-पाठन हेतु निर्धारित समय में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जा सकेगी ।

कक्षा 9 व 10 में पढ़ेंगे छात्र 10 विषय- तीन भाषाएँ, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा और स्वस्थता, अन्तर विषयक क्षेत्र की शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा ।

कक्षा 11 व 12 में पढ़ेंगे छात्र छः अनिवार्य विषय, यदि छात्र कोई अपनी रुचि का एक और अन्य विषय पढ़ना चाहता है तो वह 7वें विषय के रूप में पढ़ सकेगा, जो वैकल्पिक विषय कहलायेगा। इन छः विषयों में से भाषा के दो विषय अनिवार्य रूप से पढ़ने होंगे, जिसमें से भी एक भारतीय भाषा पढ़नी अनिवार्य होगी। दूसरी भाषा वह अपनी रुचि के अनुसार चुन सकेगा। अन्य चार विषयों को वह उपलब्ध विषय समूह से अपनी रुचि से चुन सकेगा। स्थानीय संदर्भित विषयवस्तु को विभिन्न विषयों में सम्मिलित किया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों की स्थानीय ज्ञान की समझ बनी रहे। पाठ्यपुस्तकों में विषयवस्तु को कम किया जाएगा ताकि गतिविधि आधारित शिक्षण को पर्याप्त समय मिल पाये। कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा एवं स्वस्थता को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मुख्य विषयों की तरह महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

व्यावसायिक शिक्षा से होंगे अब छात्र लाभान्वित शिक्षा रोज़गार परक शिक्षा करेगी छात्रों को कैरियर बनाने में सहायता। रटंत प्रणाली की जगह समझ आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है। शिक्षकों की क्षमता संवर्धन हेतु सेवारत प्रशिक्षणों के माध्यम से 50 घंटे का सतत व्यावसायिक विकास किया जाएगा। बच्चों की शैक्षिक संप्राप्ति तथा विद्यालय विकास के लिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। संस्कृति तथा संस्कारों को प्रमुखता देते हुए इक्कीसवीं सदी के कौशलों के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को समाहित किया गया है जिससे संवेदनशील वैश्विक नागरिक तैयार किए जा सकें।

अन्तर विषयक क्षेत्र की शिक्षा के अंतर्गत छात्र पढ़ेंगे भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय जड़ों से जुड़े रहने की समझ, संस्कृति और संस्कार, पर्यावरण की समझ और उसके संवर्धन का ज्ञान आदि ।

व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत स्थानीय व्यवसायों की संभावना वाले विषयों यथा मशरूम उत्पादन, डेरी फार्मिंग, कुकुट उद्योग हेरिटेज टूर गाइड ब्यूटी थेरेपिस्ट, मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला सहायक, बागवानी, फूलों की खेती, भेड़-बकरी पालन, रिंगाल-पिरुल-बांस क्राफ्ट, पारंपरिक वस्त्र एवं आभूषण, जैल-जैमी प्रसंस्करण, बेकरी एवं मिलेट बेकरी, घर के लिए स्वास्थ्य सहायक, पारम्परिक जागर संगीत कला, हेयर स्टाइलिस्ट, योग प्रशिक्षक आदि का व्यावसायिक अध्ययन कराया जाएगा।

तकनीकी आधारित शिक्षण के अंतर्गत ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से भी विद्यालय शिक्षा सुलभ करवायेंगे ताकि अस्वस्थता या किसी अन्य कारण से अनुपस्थित छात्र कक्षा शिक्षण से वंचित न रहने पाये ।

बैठक में अपर निदेशक एस सी ई आर टी, प्रदीप कुमार रावत, सहायक निदेशक डॉ. के.एन.बिजल्वाण, शैलेश श्रीवास्तव, जगदीश सिंह सजवाण, खंड शिक्षा अधिकारी अमित कुमार चंद, सुनील जोशी, दिगंबर नेगी, राम लाल आर्य, सुनीता बड़ोनी, डॉ संजीव चेतन, रविंद्र सिंह चौहान, कार्यक्रम समन्वयक रविदर्शन तोपाल, मेम्बर कॉर्डिनेटर डॉ राकेश गैरोला, उषा कटियार, अनुज्ञा पैन्युली, संजय रावत, विनीता मार्टिन, संध्या कठैत, अम्बरीश बिष्ट, पुष्पलता रावत, मनोज किशोर बहुगुणा, कामाक्षा मिश्रा, सचिन नौटियाल, आदि उपस्थित रहे।

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