देहरादून: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विधेयक लाने के लिए उत्तराखंड विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार को शुरू हो गया। सत्र के दूसरे दिन आज यानि मंगलवार को यह विधेयक पेश किया जाएगा। उत्तराखंड कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। वहीं, विरोध प्रदर्शन को देखते हुए विधानसभा के आस-पास धारा 144 लगा दी गई है।
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण विधेयक शामिल हैं। यूसीसी को आज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद इस पर चर्चा होगी।
नेता सदन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्र के पहले दिन ही इसकी घोषणा करते हुए विपक्षी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी विधायकों से राष्ट्र तथा प्रदेश हित में इसका समर्थन करने की अपील की थी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस विधेयक को लागू करने का वादा किया गया था। इसके लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित की गई, जिसने लगभग दो वर्ष तक खुली बैठकों में आम जनता से विचार और सुझाव एकत्र कर अपनी सिफारिश गत फरवरी को राज्य सरकार के सुपुर्द किया था, जिसे चार फरवरी को मंत्रिमंडल की बैठक में सदन में रखने पर सहमति दी गई थी। यूसीसी के विरोध में विशेषकर मुस्लिम सम्प्रदाय के नेताओं ने लगातार बैठकें आयोजित की हैं, जिसके दृष्टिगत पूरे राज्य में शान्ति व्यवस्था के लिए पुलिस को अलर्ट मोड में रखा गया है।
सत्र को लेकर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की है और पूरे प्रदेश में पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। सत्र की शुरूआत से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी सभी वर्गों के लिए अच्छा होगा और इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों से सदन में सकारात्मक तरीके से विधेयक पर चर्चा करने का अनुरोध भी किया।
यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के स्वप्न को साकार करने में मददगार होगा। धामी ने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान जनता के सामने यूसीसी लाने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लोग यूसीसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारी यह प्रतीक्षा समाप्त हो रही है और हम कल इसे विधानसभा में प्रस्तुत करेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पूरा देश उत्तराखंड की तरफ देख रहा है। उत्तराखंड के लिए यह एक युगांतकारी समय है। पूरे देश की नजर हमारी तरफ है कि किस प्रकार से विधेयक आता है और किस प्रकार की चर्चा होती है।’’ मंगलवार को सदन में रखे जाने के बाद विधेयक पर चर्चा की जाएगी। अन्य दलों के विधायकों से चर्चा में भाग लेने का अनुरोध करते हुए धामी ने कहा, ‘‘..सकारात्मक ढंग से चर्चा में भाग लें, मातृ शक्ति के उत्थान के लिए, राज्य के अंदर रहने वाले हर पंथ, हर समुदाय, हर धर्म के लोगों के लिए इसमें भाग लें।’’
प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में छह फरवरी को सदन के पटल पर रखे जाने को मंजूरी दी थी। चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था। वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना भी शामिल था।
वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी।
कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों। उधर, प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने कहा कि पूरे राज्य में पुलिस बल को अलर्ट पर रहने के आदेश दिए गए हैं ताकि किसी भी संभावित अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।